सुना करो मेरी जान, इन से उन से अफ़साने
सब अजनबी हैं यहाँ , कौन किसको पहचाने
यहाँ से जल्द गुज़र जाओ क़ाफ़िलेवालों !
हैं मेरी प्यास के फूँके हुए ये वीराने ।
मेरे जूनून-ए-परस्तिश से तंग आ गए लोग
सुना है बंद किए जा रहे हैं बुतखाने
जहाँ से पिछले पहर कोई तश्त काम उठा
वहीँ पे तोडे हैं यारों ने आज पैमाने
बहार आए तो मेरा सलाम कह देना
मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने
हुआ है हुक्म की कैफ़ी को संगसार करो
मसीह बैठे हैं छुप के कहाँ खुदा जाने।
सब अजनबी हैं यहाँ , कौन किसको पहचाने
यहाँ से जल्द गुज़र जाओ क़ाफ़िलेवालों !
हैं मेरी प्यास के फूँके हुए ये वीराने ।
मेरे जूनून-ए-परस्तिश से तंग आ गए लोग
सुना है बंद किए जा रहे हैं बुतखाने
जहाँ से पिछले पहर कोई तश्त काम उठा
वहीँ पे तोडे हैं यारों ने आज पैमाने
बहार आए तो मेरा सलाम कह देना
मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने
हुआ है हुक्म की कैफ़ी को संगसार करो
मसीह बैठे हैं छुप के कहाँ खुदा जाने।