किस्से इकट्ठे करने का शौक था , इसलिए किताबे बहुत थी मेरे पास...
बेहतर होता की पहले एक पूरी करता, फिर दूसरी ख़रीदता...Logical Saints
Wednesday, October 21, 2015
Final Destination
जिस किसी से पूछो बस सुनी हुई philosophy बकता है ,
लगता है आज कल पढ़े-लिखे लोग कुछ कम ही रह गए है !!Deep Dive
आँखों पे रौशनी क्या पड़ी , ये तारे नज़र नहीं आते तुम्हे..
गहरे में जाने को बोला था किसी ने, लेकिन आजकल कुँए नज़र नहीं आते हमें...
~ रजत Agar Hai Shauk Milne Ka (अगर है शौक मिलने का) by Miya Mir
अगर है शौक मिलने का तो हर दम लो लगता जा ,
जला कर खुदनुमाई को , भसम तन पर लगाता जा ,
पकड़ कर इश्क़ की झाड़ू , सफा कर हिज्र -ए -दिल को ,
दुई की धूल को ले कर ,मुसल्लेह पे उडाता जा ,
मुसल्लेह छोड़ , तस्बीह तोड़ , किताबें डाल पानी में ,
पकड़ तू दस्त मुर्शिद का, गुलाम उनका कहाता जा ,
न मर भूखा , न रख रोज़े , ना जा मस्जिद , ना कर सजदा ,
वज़ू का तोड़ दे कूज़ा , शराब -ए -शौक पीता जा ,
हमेशा खा , हमेशा पी , ना गफलत से रहो एकदम ,
नशे में सैर कर , अपनी खुदी को तू जलाता जा ,
ना मुल्ला हो , ना हो ब्राह्मण , दुई की छोड़ के पूजा ,
हुकुम है शाह -कलंदर का , अनल -हक़ तू कहाता जा ,
कहे मंसूर मस्ताना , मैंने हक़ -ए - दिल में पहचाना ,
वही मस्तों का मयखाना , उसी के बीच आता जा।
जला कर खुदनुमाई को , भसम तन पर लगाता जा ,
पकड़ कर इश्क़ की झाड़ू , सफा कर हिज्र -ए -दिल को ,
दुई की धूल को ले कर ,मुसल्लेह पे उडाता जा ,
मुसल्लेह छोड़ , तस्बीह तोड़ , किताबें डाल पानी में ,
पकड़ तू दस्त मुर्शिद का, गुलाम उनका कहाता जा ,
न मर भूखा , न रख रोज़े , ना जा मस्जिद , ना कर सजदा ,
वज़ू का तोड़ दे कूज़ा , शराब -ए -शौक पीता जा ,
हमेशा खा , हमेशा पी , ना गफलत से रहो एकदम ,
नशे में सैर कर , अपनी खुदी को तू जलाता जा ,
ना मुल्ला हो , ना हो ब्राह्मण , दुई की छोड़ के पूजा ,
हुकुम है शाह -कलंदर का , अनल -हक़ तू कहाता जा ,
कहे मंसूर मस्ताना , मैंने हक़ -ए - दिल में पहचाना ,
वही मस्तों का मयखाना , उसी के बीच आता जा।
Thursday, June 25, 2015
Happy First Birthday to my Dear Amav
तीन अक्षर का नाम 'अमव ', सीधा स्पष्ट है भाव 'अमव ' !
अचल और विचल के बीच में , मृगःतृष्णा की चाल 'अमव ' !
कोहरे से ढके पर्वत पे , सूरज की शान 'अमव ' !
खिले उपवन में, मचलती तितलियों की चाल 'अमव' !
मीठे फल की भीनी खूश्बू और स्वाद 'अमव' !
दौड़-भाग की ज़िन्दगी में , इक धीमी मुस्कान 'अमव' !
सीने में इद्रधनुष और 'आयु' का भाव 'अमव' !
सुख-दुःख में , सम रहने की अपनी राह 'अमव' !
जीवन गंतव्य में, तरक्क़ी की मिसाल 'अमव' !
एकाग्र, मुस्कान , धैर्य , शांत , प्रेम का व्याक्यांश 'अमव' !
अपने नाम को सार्थक करेगा ,हमारा 'अमव' !~ रजत
Wednesday, October 15, 2014
कर्मभूमि - Office Environment
तिलिसिम जादू का बन के रह गयी है आज कल की नौकरी,
जहाँ काम से ज़यादा बोलती है बातों की टोकरी !!!
बातों की जलेबी हम ने बहुत देखी है,
क्यूंकि...नज़रे अक्सर झुक जाती है सही बात दोहराने में !!!
कर्मभूमि में रह कर ही अपना चरितार्थ सवारा जाए !!!
क्यूंकि... इक उम्र गुज़र जाती है, इज़्ज़त कमाने और हुनर बनने में,
हर इक शक्स में तराशा जा सकता है हीरा, वार्ना 'रजत ' काम आएगा सिर्फ चमचे बनने में !!!
~ रजत
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