Wednesday, October 15, 2014

कर्मभूमि - Office Environment

तिलिसिम जादू का बन के रह गयी है आज कल की नौकरी,
                      जहाँ काम से ज़यादा बोलती है बातों की टोकरी !!!

मुझे काम आता है,मुझ से काम करवाया जाए,
              बस यहाँ, एक को कैसे गिनते है दस, वही देख मेरा मन बहुत  घबराये !!!

लोगो के दिल को छू सी जाती है, हर इक छोटी सी बात ,
              यहाँ लोग ज़रा सी 'ना' को इक अरसे से दिल में दबाये बैठे है !!!

क्यूंकि...हाँ में हाँ मिलाने का दस्तूर बड़ा पुराना है,
               और यहाँ 'ना' का मतलब वादा-ए -खिलाफी है !!!

बातों की जलेबी हम ने बहुत देखी है,
               क्यूंकि...नज़रे अक्सर झुक जाती है सही बात दोहराने में !!!

जो 'सत्य' है उसी को आगे बढ़ाया जाए,
               कर्मभूमि में रह कर ही  अपना चरितार्थ सवारा जाए !!!

क्यूंकि... इक उम्र गुज़र जाती है, इज़्ज़त कमाने और हुनर बनने में,
             हर इक शक्स में तराशा जा सकता है हीरा, वार्ना 'रजत ' काम आएगा सिर्फ चमचे बनने में !!!

~ रजत

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