तिलिसिम जादू का बन के रह गयी है आज कल की नौकरी,
जहाँ काम से ज़यादा बोलती है बातों की टोकरी !!!
बातों की जलेबी हम ने बहुत देखी है,
क्यूंकि...नज़रे अक्सर झुक जाती है सही बात दोहराने में !!!
कर्मभूमि में रह कर ही अपना चरितार्थ सवारा जाए !!!
क्यूंकि... इक उम्र गुज़र जाती है, इज़्ज़त कमाने और हुनर बनने में,
हर इक शक्स में तराशा जा सकता है हीरा, वार्ना 'रजत ' काम आएगा सिर्फ चमचे बनने में !!!
~ रजत
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