अगर है शौक मिलने का तो हर दम लो लगता जा ,
जला कर खुदनुमाई को , भसम तन पर लगाता जा ,
पकड़ कर इश्क़ की झाड़ू , सफा कर हिज्र -ए -दिल को ,
दुई की धूल को ले कर ,मुसल्लेह पे उडाता जा ,
मुसल्लेह छोड़ , तस्बीह तोड़ , किताबें डाल पानी में ,
पकड़ तू दस्त मुर्शिद का, गुलाम उनका कहाता जा ,
न मर भूखा , न रख रोज़े , ना जा मस्जिद , ना कर सजदा ,
वज़ू का तोड़ दे कूज़ा , शराब -ए -शौक पीता जा ,
हमेशा खा , हमेशा पी , ना गफलत से रहो एकदम ,
नशे में सैर कर , अपनी खुदी को तू जलाता जा ,
ना मुल्ला हो , ना हो ब्राह्मण , दुई की छोड़ के पूजा ,
हुकुम है शाह -कलंदर का , अनल -हक़ तू कहाता जा ,
कहे मंसूर मस्ताना , मैंने हक़ -ए - दिल में पहचाना ,
वही मस्तों का मयखाना , उसी के बीच आता जा।
जला कर खुदनुमाई को , भसम तन पर लगाता जा ,
पकड़ कर इश्क़ की झाड़ू , सफा कर हिज्र -ए -दिल को ,
दुई की धूल को ले कर ,मुसल्लेह पे उडाता जा ,
मुसल्लेह छोड़ , तस्बीह तोड़ , किताबें डाल पानी में ,
पकड़ तू दस्त मुर्शिद का, गुलाम उनका कहाता जा ,
न मर भूखा , न रख रोज़े , ना जा मस्जिद , ना कर सजदा ,
वज़ू का तोड़ दे कूज़ा , शराब -ए -शौक पीता जा ,
हमेशा खा , हमेशा पी , ना गफलत से रहो एकदम ,
नशे में सैर कर , अपनी खुदी को तू जलाता जा ,
ना मुल्ला हो , ना हो ब्राह्मण , दुई की छोड़ के पूजा ,
हुकुम है शाह -कलंदर का , अनल -हक़ तू कहाता जा ,
कहे मंसूर मस्ताना , मैंने हक़ -ए - दिल में पहचाना ,
वही मस्तों का मयखाना , उसी के बीच आता जा।
Amazing! Thanks for uploading :)
ReplyDeleteGreat!!!
ReplyDeleteइस रचना के लेखक कौन है
ReplyDeleteMolana Rumi
DeleteTabrej shamsi
DeleteBoth incorrect. This was most likely written by Mian Mir (one of the teachers of Dara Shikoh) where as Anal Haqq was said by Mansour Hallaj, a 9th century mystic.
DeleteWhat is the meaning of Lau lagata ja?
DeleteThanks for uploading
ReplyDeleteExcellent information,Thanks lot!!!
ReplyDeleteGood
ReplyDeletewhy muslim is against sufis
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