Thursday, August 25, 2011

यूँ ही बेसबब न फिरा करो : बशीर बद्र

यूँ ही बेसबब न फिरा करो, कोई  शाम घर में भी रहा करो
वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है, उसे चुपके चुपके पढ़ा करो...

कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से
ये नये मिज़ाज का शहर है, ज़रा फ़ासले से मिला करो...

अभी राह में कई मोड़ हैं, कोई आयेगा कोई जायेगा
तुम्हें जिसने दिल से भुला दिया, उसे भूलने की दुआ करो...

मुझे इश्तहार सी लगती हैं, ये मोहब्बतों की कहानियाँ
जो कहा नहीं वो सुना करो, जो सुना नहीं वो कहा करो...

कभी हुस्न-ए-पर्दानशीं भी हो ज़रा आशिक़ाना लिबास में
जो मैं बन-सँवर के कहीं चलूँ, मेरे साथ तुम भी चला करो...

ये ख़िज़ा की ज़र्द-सी शाम में, जो उदास पेड़ के पास है
ये तुम्हारे घर की बहार है, इसे आंसुओं से हरा करो...

नहीं बेहिजाब वो चाँद सा कि नज़र का कोई असर नहीं
उसे इतनी गर्मी-ए-शौक़ से बड़ी देर तक न तका करो

Wednesday, August 24, 2011

Agar tum milne aa jao..

                                          Tamanna fir machal jaye ..agar tum milne aa jao..
                                          Ye mausam bhi badal jaye..agar tum milne aa jao..

                                          Mujhe gam hai ke mene jindgi me kuch nahi paaya..
                                          Ye gam dil se nikal jaye ..agar tum milne aa jao..

                                          Ye duniya bhar ke jhagde.
                                          Ghar ke kisse, kaam ki baate..
                                          Sazaa har ek tal jaye..agar tum milne aa jao..

                                          Nahi milte jo mujhse tum toh sab hamdard hai mere..
                                          Jamana mujh se jal jaye ..agar tum milne aa jao..

तो क्या बात है...

किताबों के पन्नो को पलट के सोचती हु, 
यूं पलट जाए मेरी ज़िन्दगी तो क्या बात है । 
 
सपनो में रोज मिलता है जो, 
हकीकत में भी आए तो क्या बात है ।
 
कुछ मतलब के लिए जो ढूते है मुझको , 
बिन मतलब वो आए तो क्या बात है

कत्ल करके तो सब ले जायेंगे दिल मेरा , 

कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है।

शरीफों की शराफ्हत में जो बात हो,

 कोई शराबी कह जाए तो क्या बात है

अपने रहने तक तो खुशी देंगे सबको,  

जो किसी को मेरी मौत पे खुशी मिल जाए तो क्या बात है

कोई तुमसे पूछे...

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,
एक झूठ है आधा सच्चा सा .
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .
जीवन का एक ऐसा साथी है ,
जो दूर हो के पास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
हवा का एक सुहाना झोंका है ,
कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा .
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,
कभी अपना तो कभी बेगानों सा .
जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,
जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,
यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है .
यूँ तो उसके होने का कुछ गम नहीं ,
पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है .
यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,
पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं...

Amazing Gazal

भरी दोपहर में वो कोई ख़्वाब देखता था
क़ाग़ज के पर देकर मेरी परवाज़ देखता था...

  दबा कर चंद तितलियाँ मेरे तकिये के नीचे
  मौहब्ब्त के नये आदबो-अख़्लाक देखता था...

कभी दस्त चूमता था, कभी पेशानी मेरी
सजा सजा के मुझे मेरे नये अंदाज़ देखता था...

  हर सुबह बाँधता था जुगनुओं के पाँव में घुँघरु
  फ़िर उनका रक़्स वो सरे बाज़ार देखता था...

जब से होने लगी है मेहराब मेरे घर की ऊँची
अजीब खौफ़ से मेरा अहबाब मुझे देखता था...

  वो मौज़िज़ भी था मौतबर, और मुहाफ़िज भी
  भंवर में पड़ी कौम को वो बस दूर से देखता था...

मश्विरा है "शम्स" कि ख़्वाब अपना न बताये कोई
वो बेवज़ह लुट ही गया हाकिम खामोश देखता था...

By Poet Shamas

Let the heart basking in the sun