Wednesday, August 24, 2011

तो क्या बात है...

किताबों के पन्नो को पलट के सोचती हु, 
यूं पलट जाए मेरी ज़िन्दगी तो क्या बात है । 
 
सपनो में रोज मिलता है जो, 
हकीकत में भी आए तो क्या बात है ।
 
कुछ मतलब के लिए जो ढूते है मुझको , 
बिन मतलब वो आए तो क्या बात है

कत्ल करके तो सब ले जायेंगे दिल मेरा , 

कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है।

शरीफों की शराफ्हत में जो बात हो,

 कोई शराबी कह जाए तो क्या बात है

अपने रहने तक तो खुशी देंगे सबको,  

जो किसी को मेरी मौत पे खुशी मिल जाए तो क्या बात है

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