किताबों के पन्नो को पलट के सोचती हु,
यूं पलट जाए मेरी ज़िन्दगी तो क्या बात है ।
कुछ मतलब के लिए जो ढूढते है मुझको ,
बिन मतलब वो आए तो क्या बात है ।
कत्ल करके तो सब ले जायेंगे दिल मेरा ,
कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है।
शरीफों की शराफ्हत में जो बात न हो,
कोई शराबी कह जाए तो क्या बात है ।
अपने रहने तक तो खुशी देंगे सबको,
जो किसी को मेरी मौत पे खुशी मिल जाए तो क्या बात है ।
यूं पलट जाए मेरी ज़िन्दगी तो क्या बात है ।
सपनो में रोज मिलता है जो,
हकीकत में भी आए तो क्या बात है ।
बिन मतलब वो आए तो क्या बात है ।
कत्ल करके तो सब ले जायेंगे दिल मेरा ,
कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है।
शरीफों की शराफ्हत में जो बात न हो,
कोई शराबी कह जाए तो क्या बात है ।
अपने रहने तक तो खुशी देंगे सबको,
जो किसी को मेरी मौत पे खुशी मिल जाए तो क्या बात है ।
No comments:
Post a Comment