Wednesday, October 15, 2014

कर्मभूमि - Office Environment

तिलिसिम जादू का बन के रह गयी है आज कल की नौकरी,
                      जहाँ काम से ज़यादा बोलती है बातों की टोकरी !!!

मुझे काम आता है,मुझ से काम करवाया जाए,
              बस यहाँ, एक को कैसे गिनते है दस, वही देख मेरा मन बहुत  घबराये !!!

लोगो के दिल को छू सी जाती है, हर इक छोटी सी बात ,
              यहाँ लोग ज़रा सी 'ना' को इक अरसे से दिल में दबाये बैठे है !!!

क्यूंकि...हाँ में हाँ मिलाने का दस्तूर बड़ा पुराना है,
               और यहाँ 'ना' का मतलब वादा-ए -खिलाफी है !!!

बातों की जलेबी हम ने बहुत देखी है,
               क्यूंकि...नज़रे अक्सर झुक जाती है सही बात दोहराने में !!!

जो 'सत्य' है उसी को आगे बढ़ाया जाए,
               कर्मभूमि में रह कर ही  अपना चरितार्थ सवारा जाए !!!

क्यूंकि... इक उम्र गुज़र जाती है, इज़्ज़त कमाने और हुनर बनने में,
             हर इक शक्स में तराशा जा सकता है हीरा, वार्ना 'रजत ' काम आएगा सिर्फ चमचे बनने में !!!

~ रजत

Sunday, October 12, 2014

Diwali

तुम्हारी आँखों में पिछली दिवाली की चमक अभी बाकी है...

अमावस के दिनों में ये रोशनी की लहर और ज़ुबाँ पे मिठास ,
             लेकिन मुझे आज भी अपने चाँद को देखने की कसक अभी बाकी है...
बहुत वादे थे ज़िन्दगी के मुझ से आज के कल के ,
             लेकिन आज की रात ज़िन्दगी की चौसर अभी बाकी है...
गर्दिश में आज तारे ही लिखे होंगे मेरी जीस्त में ,
              क्यूंकि मेरे माजी से सुलह होनी अभी बाकी है...
आज नूर बरस रहा है बग़ैर चांदनी के बे-सबब ,
              के वोह इक शम्मा -ए -रौशनी  बन के मुझ से मिलने वाली है...


~ रजत 

Two Liners


उसने ज़िन्दगी गुमनामी में बीता दी..क्यूंकि
                 शोर मचाने से तकदीरें नहीं बदला करती !!
~ रजत
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इज़्ज़त जिसे बनाने में इक उम्र गुज़र जाती थी..
            आज कल उसे ही ख़र्च करने को ज़िन्दगी कहते है !!!
~ रजत

Random Thoughts

***Values of Words***

काश बातों के सहारे ज़िन्दगी चलती,
  शायद तब ज़ुबा की कीमत अनमोल होती !!
~ रजत
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आज सड़क के किनारे कुछ छोटे बच्चो को मुँह से गुब्बारे फुलाते देखा तबही गाड़ी में बैठे प्यारे से नवविवाहित जोड़े ने वे गुब्बारे खरीदे और कुछ देर बाद पीछे के सीट पे फेक दिये। 
इस वाक़ये पे कुछ पंक्तिया लिखी है… 

अपनी साँसों से भर के , जो गुब्बारे मैंने तुम्हे दिये थे !
       वो जश्न खत्म होते ही बेमाने से हो गये.!!
~ रजत 

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Develop the virtues of compassion and grace

छप्पर फाड़ के दिया गया केवल 'दया' के गहरी झोली में ही समा सकता है.। 
  'अहंकार' के खींची झोली पे गिर कर चीज़े अक्सर उछल जाती  है !!
~ रजत

Its about Almighty and Me

कमी मुझ में ही थी, के ज़िन्दगी जी न सका,
                          इन्द्रधनुष के रंग पी न सका..
सुना है लोग इक पल में बरसो जी लेते है,
                         मैं बरसो में इक पल भी जी न सका...

अपेक्षा बहुत थी मुझे उस से*, लेकिन खुद पे ऐतबार रख न सका...

शायद 'अधूरी' थी तैयारी फिर भी मौके मिले 'पूरे',
                      लेकिन उस अक्स का शुक्र कर न सका...
लोग कहते है ये श्रिष्टि है बहुत ही बड़ी,
                    लेकिन मैं जीने का एक भी बहाना ढूंढ न सका...

~ रजत

* उस से  - ईश्वर