उसने ज़िन्दगी गुमनामी में बीता दी..क्यूंकि
शोर मचाने से तकदीरें नहीं बदला करती !!....................................................................................
इज़्ज़त जिसे बनाने में इक उम्र गुज़र जाती थी..
आज कल उसे ही ख़र्च करने को ज़िन्दगी कहते है !!!
~ रजत
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