Tuesday, September 4, 2012

इंतज़ार में उसने किताबो के पन्ने टटोले होगे

इंतज़ार में उसने किताबो के पन्ने टटोले होगे...
नयी कहानी की चाहत में, पुराने मिसरे फिर से पढे होंगे!
लेकिन..सूखे हुय फूल और पहले के लिखे हुय कागज़ ने सारे समीकरण बदले होगे !
आज शब्दों के नीचे एक रेखा खींच दी है उसने, जो अब कतार में पहले और हम पीछे होंगे !
~ रजत

No comments:

Post a Comment