इतिहास रचने के चाहत में,
आज उससे मुलाकात कर बैठा !
मुकाम का पहुचना मुमकिन न था,
तो आज उसी को मंजिल बना बैठा !
जूनून न बन जाए वोह मेरा,
इसलिए उसे अपनी फितरत बना बैठा!
कशमकश में गुजरी थी कल की रात,
के आज इतिहास खुद को दुहरा बैठा !
~ रजत
आज उससे मुलाकात कर बैठा !
मुकाम का पहुचना मुमकिन न था,
तो आज उसी को मंजिल बना बैठा !
जूनून न बन जाए वोह मेरा,
इसलिए उसे अपनी फितरत बना बैठा!
कशमकश में गुजरी थी कल की रात,
के आज इतिहास खुद को दुहरा बैठा !
~ रजत
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