धरती क्या, हमने सूरज के चक्कर काट लिये,
धुरी पे रह कर हाय, बरसो मॉस झाँक लिये ...
आसमान को छुने की तलब अभी जारी है,
वही सोच आज मैंने सागर में कूद दे मारी हैं ....
आज तारों के बीच से निकल जाऊँगा मैं ,
चाँद को छुने की चाहत में टूटा हुआ तारा कहलाऊंगा मैं ....
~ रजत
धुरी पे रह कर हाय, बरसो मॉस झाँक लिये ...
आसमान को छुने की तलब अभी जारी है,
वही सोच आज मैंने सागर में कूद दे मारी हैं ....
आज तारों के बीच से निकल जाऊँगा मैं ,
चाँद को छुने की चाहत में टूटा हुआ तारा कहलाऊंगा मैं ....
~ रजत
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