ये रंग, ये पलाश के फूल, ये काजल उसका,
कल रात स्वर्णिम आभा में भीगा था आँचल जिसका...
ये शोखी, ये पतंग , ये हवा सा मटकना उसका,
कल रात मांझे में उलझा था ईमान जिसका....
~ रजत
कल रात स्वर्णिम आभा में भीगा था आँचल जिसका...
ये शोखी, ये पतंग , ये हवा सा मटकना उसका,
कल रात मांझे में उलझा था ईमान जिसका....
~ रजत
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