Tuesday, September 4, 2012

खवाहिश

खवाहिश, तुझ से मिलने के बाद ज़िन्दगी की तासीर बदलने लगी...
               तम्मना की चाशनी , जुस्तजू के सांचे में ढलने लगी....

~ रजत

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